रसोई का ताज - सब्ज़ियाँ | Kitchen Crown - Vegetables in Hindi | Story | 6th Class | PSEB, Mohali | Practical | | CSPunjab.Com

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Type : Hindi-Catroon

Language(s) : Hindi

रसोई का ताज : सब्ज़ियाँ

पात्र : नौ बच्चे-कुछ लड़के तथा लड़कियाँ

सामग्री : अलग-अलग सब्जियों के मुखौटे जो मोटे कागज़ या गत्ते के बने हों तथा जिन पर डोरी या रस्सी बँधी हो।

(सभी बच्चे मंच पर विराजमान हैं। उन्होंने अपने-अपने मुँह पर एक-एक सब्जी का मुखौटा पहना हुआ है। एक तरफ आलू, प्याज़ तथा टमाटर का मुखौटा पहने बच्चे बैठे हैं तथा दूसरी ओर घीया, मूली, शलगम, करेला, बैंगन और पुदीने का मुखौटा पहने बच्चे बैठे हैं। इन सब में आलू बहुत ही फुदक रहा है और अपने आपको बहुत समझ रहा है, इसीलिए सबसे पहले वही खड़ा होता है और अपनी शेखी बघारता है।)

आलू: (सभी सब्जियों पर एक निगाह डालते हुए)

देखो, भाइयो और बहनो ! मैं सब्जियों का राजा हूँ। मेरा रसोई में सबसे ज्यादा प्रयोग होता है। मुझे सभी पसंद करते हैं। मैं बाज़ार में बारहमास मिलता हूँ। मुझमें विटामिन ए होता है तथा प्रोटीन भी होते हैं। मैं तो हरेक सब्जी के साथ घुल मिल जाता हूँ। बैंगन, गोभी, गाजर, मटर आदि के साथ मिलकर तो मैं सब्ज़ी के स्वाद को दोगुना कर देता हूँ। रायते के रूप में तो मेरे क्या कहने। इसके अलावा पूरियों के साथ लोग मुझे बड़े चाव से खाते हैं। मेरे परांठों की तो शान ही निराली है। मेरा उबला हुआ रूप तो पूर्ण आहार है। समोसे, टिक्की, चाट, पकौड़े तथा चिप्स के रूप में तो मैं जगत प्रसिद्ध हूँ।

पियाज : अच्छा ! अच्छा! यह भी तो कहो कि तुम्हें खा खा कर ही तो लोगों का मोटापा बढ़ रहा है।

आलू : ठीक है । पर इसमें मेरा क्या कसूर । मैं हूँ ही इतना प्यारा और स्वादिष्ट कि लोग मुझे खाए बिना रह ही नहीं सकते। यह तो लोगों को चाहिए कि वे मुझे संयम से प्रयोग में लायें। ज़रूरत से ज़्यादा मेरा सेवन न करें।

प्याज़ : अच्छा ! अब चुप भी रहो। मेरी सुनो। मैं भी सदाबहार हूँ। मेरा किसी सब्ती से कोई झगड़ा नहीं। मेरे बिना क्या कोई सब्जी बन सकती है? दालों व सब्जियों में मेरा खूब प्रयोग होता है। सलाद के रूप में कच्चा भी खाया जाता हूँ। मुझमें कैल्शियम, प्रोटीन तथा आयरन काफी मात्रा में होता है। मैं बहुत ही गुणकारी हूँ। मेरा अनेक दवाइयों में प्रयोग होता है। मेरा रस हृदय रोगियों के लिए अच्छा है। मैं रक्त प्रवाह को आसान बनाता हूँ।

टमाटर : तुम होते होंगे गुणकारी। पर तुम्हें काटते वक्त आँखों में से आँसू आ जाते हैं तथा तुम्हें कच्चा खाने पर मुँह से गंध आने लगती है। शायद बहुत से लोग तुम्हें इसी कारण पसन्द नहीं करते। पर मुझे देखो! मेरा रूप कितना सुंदर है। मेरा लाल- लाल रंग सभी को लुभाता है। एक ओर जहाँ मैं रक्त निर्माण करता हूँ वहीं दूसरी ओर रक्त साफ करने में भी सहायक हूँ। मैं जिगर को मज़बूत बनाता हूँ। मेरा सूप भूख बढ़ाने वाला है। हाँ! पथरी रोगियों को तो मेरे पास भी नहीं फटकना चाहिए।

घीया : हम हरी सब्जियाँ भी किसी से कम नहीं है। मेरी सुंदरता व कोमलता देखकर सब्जी मंडी में ग्राहक मुझे खरीदने को लालायित रहते हैं। मैं बहुत ही सुपाच्य हूँ। मेरा जूस पीने में चाहे स्वाद न भी लगे परंतु सेहत के लिए लाभकारी है। मुझे उन लोगों पर बहुत गुस्सा आता है जो मुझे खरीदकर तो ले आते हैं परंतु मेरी सब्जी खाने में नाक सिंकोड़ते हैं। भाई! यदि मैं सब्जी के रूप में तुम्हें पसंद नहीं हूँ तो आप मेरा रायता बना लें। मेरा रायता दस्त में बहुत लाभकारी है। इसके अतिरिक्त कोफ्ते के रूप में भी बनाया जा सकता हूँ। मुझे तलवों पर मलने से शरीर की गरमी दूर होती है। सब्जी के अलावा मेरा हलवा बहुत ही स्वारिष्ट व पौष्टिक होता है।

करेला : ठीक कहते हो आप। हम हरी सब्जियाँ सचमुच बड़ी गुणकारी हैं।

आलू : अबे ! चुप रह कड़वे और खुरदरे। भला तुम्हें कौन खाना पसंद करता है?

करेला : अपनी जुबान बंद कर तू। बहुत बोल लिया। मैं तुम सबसे गुणकारी हूँ। सिर्फ समझदार लोग ही मेरा महत्व जानते हैं। मैं पचने में हल्का हूँ। पीलिया और शूगर के रोगियों के लिए तो मेरा रस किसी वरदान से कम नहीं। मैं भूख बढ़ाने तथा भोजन पचाने वाला हूँ। मैं पेट के कीड़े भी मार देता हूँ तथा रक्त शोधक भी हूँ।

मूली : तुम ठीक कहते हो भाई करेले। हमारा महत्व तो सिर्फ समझदार लोग ही जानते हैं। कुछ लोग जब भी सब्जी वाले से मुझे खरीदते हैं तो मेरे पत्ते वहीं कूड़ा समझकर फेंक आते हैं। बस यहीं वे बड़ी चूक कर देते हैं। मेरी पत्ते कभी नहीं फेंकने चाहिए। उन्हें क्या मालूम कि मेरे पत्ते बहुत ही पौष्टिक, स्वादिष्ट व लाभकारी हैं। मुझे सलाद में भाई नींबू के साथ निचोड़ कर खाने से खाना जल्दी पचता है तथा पेट के अनेक विकार दूर होते हैं। मैं पीलिया रोग से पीड़ित व्यक्ति के लिए विशेषकर गुणकारी हूँ

आलू : भाई बैंगन। तुम भी कुछ कहो।

बैंगन : हाँ हाँ, क्यों नहीं! पर मैं तुम्हारी तरह राग नहीं अलापता। मेरे सिर पर लगा ताज यही बताता है कि मैं सब्ज़ियों में मुख्य हूँ।

आलू : नहीं, मैं सब्जियों का राजा हूँ। तुम तो इतने श्याम वर्ण के हो कि तुम्हें कोई क्या खाएगा?

बैंगन : (गुस्से से) रंग नहीं, मेरे गुण देखो। मुझमें लौह तत्व होता है। मैं पाचन क्रिया को बढ़ाता हूँ। मुझे काटकर सब्जी बना लो या मेरा भुर्ता बना लो। मेरे तो पकौड़े भी स्वादिष्ट बनते हैं।

शलगम : अच्छा ! अच्छा ! बंद करो अपनी लड़ाई। मैं भी लाभकारी हूँ। पर मेरे गुणों का लोगों को पता नहीं। सब्जी के अलावा कच्चा खाने में मैं बहुत मीठा हूँ। मैं भी पाचन क्रिया बढ़ाता हूँ। जिन लोगों में विटामिन बी की कमी हो उन्हें तो मेरा सेवन किसी न किसी रूप में अवश्य करना चाहिए।

आलू : पुदीने भाई । तुम्हें भी कुछ कहना है क्या? आज मौका है। जी भरकर कह लो।

पुदीना : मुझे कहने की क्या जरूरत हैं। मेरे गुण किसी से छिपे नहीं हैं। छोटा हूँ, पर हूँ गुणों की खान। मैं गर्मी के कारण होने वाले सभी रोगों में आसानी से विजय पा लेता हूँ। मेरे आगे तो उल्टियाँ, खट्टी डकारें आदि किसी की एक नहीं चलती। मेरे सामने सभी भागते दिखाई देते हैं। चटनी के रूप में तो मैं बहुत लोकप्रिय हूँ।

बैंगन : देखना ! आज मेरी बारी है।

शलगम : नहीं ! मालकिन आज मेरा सेवन करेंगी।

करेला : नहीं! नहीं! वो मुझे ही लेने आ रही हैं।

आलू : चुप हो जाओ सभी। वो बिल्कुल पास आ गयी हैं।

(सभी चुप हो जाते हैं, तभी मालकिन का प्रवेश होता है)

मालकिन : (घीये, टमाटर और शलगम की ओर देखते हुए) चलो! पहले घीये, टमाटर और शलगम का सूप बनाती हूँ। (फिर आलू, बैंगन की तरफ इशारा करते हुए) इनकी सब्जी बनाती हूँ। (प्याज़ और मूली की ओर देखकर) इनका मैं सलाद काटती हूँ। इसके बाद वह चटनी बनाने के लिए पुदीने को उठाकर चल पड़ती है।
 

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